हर साल पूरे देशभर में होली बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। लोग तरह-तरह के स्वादिष्ट मीठे और नमकीन पकवान तैयार करते हैं। इन पकवानों के साथ चारों तरफ खुशियों के रंग बिखरे होते हैं। होली प्यार का त्यौहार भी माना जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं। टेलीविजन और सिनेमा के माध्यम से हमें देश के अलग-अलग हिस्सों में होली के कई रंग देखने को मिलते हैं। ऐसे ही रंगों की बौछार करते हुए एण्डटीवी के कलाकार होली से जुड़ी अलग-अलग रीतियों और परंपराओं के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस त्यौहार के कई रंग-बिरंगे पहलुओं के बारे में भी बताया!
रंगों का महत्व समझाती होली
रंग आपकी भावनाओं, आपके उत्साह और दिल की उमंग को दर्शाते हंै। हर रंग की अपनी एक छटा और रंगत होती है। यही बात होली को बाकी त्यौहारों से खास बनाती है। इस पर थोड़ी और रोशनी डाल रही हैं, ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं’ में संतोषी मां बनीं ग्रेसी सिंह, ‘‘होली मेरे पसंदीदा त्यौहारों में से एक है और इसकी कई वजहें हैं। अपनों को गुलाल के रंग में रंग देने के उत्साह के अलावा भी यह त्यौहार जीवन के रंगों के महत्व के बारे में भी समझाता है। बचपन से ही मुझे यह जानना अच्छा लगता है कि ये सारे त्यौहार किस तरह आध्यात्मिक रूप से हमसे जुड़े हुए हैं। आज भी वो परंपराएं मुझे हैरान करती हैं।’’
अपनों की याद दिलाती होली
हर किसी के एक या दो फेवरेट रंग होते हंै! वो रंग उनका लकी रंग हो सकता है या फिर वो रंग उनके मूड को बेहतर बनाने का काम करता हो। उनकी आत्मा तृप्त हो जाती हो या फिर भावनाओं को छू जाते जाते हों। एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में दरोगा हप्पू सिंह बने योगेश त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘होली मुझे अपने बचपन की याद दिलाती है जब पूरा परिवार इकट्ठा होता था और त्यौहार की तैयारी करता था। देसी घी और मावे से मिठाइयां बनायी जाती थीं, गुलाल से सजी थाली होती थी और इन सारी चीजों में हिस्सा लेने में हम सबको बड़ा मजा आता था। हर त्यौहार पर मुझे अपनी मां की कमी खलती है, लेकिन होली में मुझे उनकी सबसे ज्यादा याद आती है! उनकी वजह से ही पीला रंग मेरा पसंदीदा रंग बन गया। जब मेरी मां कैंसर से जूझ रही थीं, उन्होंने मेरे लिये एक पीला स्वेटर बुना था और तब से वह मेरे लिये सबसे कीमती तोहफा बन गया है। और पीला रंग मेरे दिल में बस गया।’’
किसके बिना अधूरी है यह होली
हर त्यौहार के साथ कोई ना कोई ऐसी चीज जरूर जुड़ी होती है, जिसके बिना त्यौहार अधूरा रह जाता है। होली को क्या चीज पूर्ण बनाती है इस बारे में एण्डटीवी के ‘मौका-ए-वारदात’ से जुड़े मनोज तिवारी कहते हैं, ‘‘उत्तर भारत में मीठे, नमकीन पकवान और ठंडाई होली के लिये सबसे जरूरी चीजें होती हैं। इस त्यौहार का मतलब ही है लोगों से मिलना-जुलना, उन्हें बधाइयां देना और एक साथ मिलकर लोकगीत गाना। और हां सबसे जरूरी बात- गुझिया के बिना तो जैसे होली अधूरी ही मानो। महाराष्ट्र में जो गुझिया बनती है उसका स्वाद उत्तर भारत में बनने वाली गुझिया से काफी अलग होता है। इसके बारे में बात करके मुंह में पानी आ रहा है। मैं सभी लोगों को सुरक्षित और खुशहाल होली की शुभकामनाएं देता हूं।’’
बचपन की यादों को ताजा करती है होली
त्यौहारों के साथ ढेर सारी यादें भी चली आती हैं। भारत में हम सब अलग-अलग त्यौहारों को मनाते हुए बड़े हुए हैं। उन त्यौहारों को मनाने का तरीका भी अलग-अलग होता है। इस बारे में एण्डटीवी के ‘मौका-ए-वारदात’ के रवि किशन कहते हैं, ‘‘अब होली एक सेलिब्रेशन बनकर रह गयी है। ड्रेस कोड के साथ बड़ी-बड़ी पार्टियां होती हैं और सितारों के बच्चे उनमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए नज़र आते हैं। जब हम छोटे थे तो हमारी होली आज के दौर से थोड़ी अलग हुआ करती थी। हर तरह के रंगों से एक-दूसरे का चेहरा रंग देने की होड़ से लेकर इस दिन बनने वाले तरह-तरह के पकवानों का स्वाद लेने तक, हमारे त्यौहार का उत्साह कुछ अलग ही हुआ करता था। उस समय के बच्चों में एक अलग तरह की मासूमियत थी।’’
देवभूमि की अलौकिक होली
देवभूमि, उत्तराखंड में बिलकुल ही अलग तरह से होली मनायी जाती है। पहाड़ों की होली कैसी होती है, इस पर एण्डटीवी के ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ के मनमोहन तिवारी कहते हैं, ‘‘उत्तराखंड की होली देखने लायक होती है। होली के पहले सिलवाये गये सफेद झक कुरते के साथ सफेद नेहरू टोपी पहने पुरुषों की टोली। महिलाएं भी हल्के रंग के कपड़े पहनती हैं, ग्रुप में मिलकर होली के गीत गाती हैं। इसके बाद सब मिलकर पारंपरिक नृत्य, झोड़ा करती हैं। खास तरह के नमकीन पकवानों के साथ गुझिया और कई तरह की मिठाइयां बनती हैं। होली की बधाई देने घर आने वाले मेहमानों को फिर वो पकवान परोसे जाते हैं। मुंबई में हमारा पहाड़ी दोस्तों का ग्रुप बना हुआ है। हम लोग अपनी संस्कृति को बनाये रखने की कोशिश करते हैं, साथ मिलकर पहाड़ी गीत गाते हैं और अपने खास अंदाज में सारे त्यौहार मनाते हैं।’’
लाठियां और प्यार बरसाती होली
हरियाणा की ‘लट्ठमार’ होली पूरे देश में काफी प्रसिद्ध है। इस बारे में एण्डटीवी के ‘मौका-ए-वारदात’ की सपना चैधरी कहती हैं, ‘‘अक्सर फिल्मों में हरियाणा की मजेदार लट्ठमार होली दिखायी जाती है। इस लट्ठमार होली की परंपरा उत्तरप्रदेश के भी कुछ इलाकों में है। होली के दिन महिलाएं मजाक के अंदाज में परिवार के पुरुष पर लाठी चलाती हैं। वहीं पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। जो ऐसा नहीं कर पाते उन्हें फिर महिलाओं की पोशाक पहननी पड़ती है, इसे जीत का सांकेतिक रूप माना जाता है। इस त्यौहार के मौके पर वह पुरानी कथा जीवंत हो जाती है, जिसके अनुसार भगवान कृष्ण राधा और उनकी सहेलियों को छेड़ते थे और वे उनके पीछे लाठी लेकर दौड़ती थीं।’’
कोविड के दौरान सावधानी वाली होली
कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों को अपने परिवार के चुनिंदा लोगों के साथ ही इसे मनाना चाहिये। होली का उत्साह किस तरह बरकरार रखेंगे, इस बारे में रोहिताश्व गौड़ यानी एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं’ के हमारे तिवारीजी कहते हैं, ‘‘हर साल हमारे घर पर होली का बहुत ही भव्य कार्यक्रम होता है, जहां हम सबको बुलाते हैं, उसमें ‘भाबीजी घर पर हैं’ की टीम भी होती है। हालांकि, पिछले साल से हमने उस पर थोड़ा अंकुश लगा दिया है। मेरा मानना है कि कोई भी त्यौहार सिर्फ तामझाम से अच्छा नहीं मनता, बल्कि इस खास दिन को अपने परिवार के साथ मनाने से भी यह अच्छा होता है। इसलिये, हम होली मनाने के लिये पारंपरिक मिठाइयां बनायेंगे और आॅर्गेनिक कलर्स खरीदेंगें। मैं आप सबसे विनती करना चाहूंगा कि बड़े-बड़े आयोजनों का हिस्सा ना बनें और होली खेलने के दौरान सुरक्षा और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।’’
आपसी रंजिश को भुलाकर, रिश्तों को पास लाती है होली
होली का त्यौहार पिछली बातों को भुला देना और माफ कर देना होता है। यह एक नई शुरुआत का त्यौहार है। त्यौहार के इस स्वरूप के बारे में हिमानी शिवपुरी, यानी एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की कटोरी अम्मा कहती हैं, ‘‘इस त्यौहार की सबसे अच्छी सीख होती है कि हम द्वेष को भुला दें और जीवन में आगे बढ़ें। लोग होलिकादहन की पावन अग्नि में अपनी चिंताओं, असफलताओं, नफरत और आपसी रंजिश को जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे जीवन में सकारात्मकता और शांति का आगमन होता है। मेरा मानना है कि जो कुछ भी हो गया है उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन कोई यह वादा जरूर कर सकता है कि यदि उसे माफ कर दिया जाये और उसे फिर से मौका दिया जाये तो ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। तो इस होली, मैं आप सबसे विनती करना चाहती हूं कि माफ करें और पुरानी बातों को भुला दें। बैर का बोझ अपने कंधों से उतार दें। आपको अपने जीवन में बदलाव जरूर महसूस होगा।’’
लखनऊ की खास नवाबी होली
जब बात होली के धूमधाम की होती है तो फिर नवाबों के शहर की एक अलग ही ठाठ देखने को मिलती है। एण्डटीवी के ‘और भई
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