शुभांगी अत्रे ने अंगूरी भाबी, वर्क-लाइफ बैलेंस और अपने पसंदीदा झुमकों के बारे में खुलकर बात की
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शुभांगी अत्रे ने अंगूरी भाबी के अपने किरदार और वर्क-लाइफ बैलेंस के बारे में की बात, साथ ही झुमकों को लेकर जताया अपना प्यार
आप कोई भी काम करते हों, उसमें सबसे आगे होना तो जरूरी होता ही है, लेकिन काम और जिंदगी के बीच संतुलन बनाये रखना भी उतना ही जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं’ की हमारी अपनी अंगूरी भाबी यानी शुभांगी अत्रे ने चर्चा की। एक तरफ उन्होंने जीवन को लेकर अपनी अनूठी सोच का खुलासा किया तो वहीं उन्होंने रास्ते में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया। शुभांगी ने इतनी सहजता के साथ अंगूरी भाबी जैसा अहम किरदार निभाने में आॅन द स्पाॅट सुधार करने की अहमियत बतायी! उनका मानना है कि इससे समय भी बचता है और उनका हुनर भी निखरता है। शुभांगी अत्रे कहती हैं, ‘‘कई बार ऐसा होता है कि मैं शूटिंग पर होती हूं और वहां मुझे पता चलता है कि अंगूरी कुछ बेहद ही मजेदार बोलने वाली है। मैं अपने आप ही उसकी तरह सोचना शुरू कर देती हूं और सारी चीजें होती चली जाती हैं। इससे ना केवल मैं अपने तरीके से सोचने का मौका मिलता है, बल्कि अपनी तरफ से इनपुट भी दे पाती हूं। इससे अंगूरी का मेरा किरदार स्वाभाविक नज़र आता है। अपने चहेते किरदार को पर्सनल टच देने के लिये, शुभांगी के पास 600 से भी ज्यादा झुमकों का अपना कलेक्शन है। उनमें से सारे झुमके परदे पर नज़र आ चुके हैं। शुभांगी आगे कहती हैं, ‘‘जब मैंने एण्डटीवी के शो ‘भाबीजी घर पर हैं’ की शूटिंग शुरू की थी, तो ईयररिंग्स के लिये मेरा प्यार जुनून में तब्दील हो गया था और मैंने नये पीसेस इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। उन्हें मैंने अपने कई ट्रिप और भारत के अलग-अलग हिस्सों में घूमने के दौरान इकट्ठा किया। मेरे पास जितने भी झुमके हैं, उनमें ज्यादातर कुंदन वाले हैं। मुझे जड़ाऊ डिजाइन बहुत पसंद आते हैं और उनमें लगे छोटे-छोटे घुंघरू भी। मेरे हिसाब से ये झुमके मेरे किरदार को तब सबसे खूबसूरती से पर्सनल टच देते हैं, जब शुभांगी की पसंद अंगूरी के जरिये परदे पर नज़र आती है। सारी व्यस्तताओं के बीच और बिना किसी टालमटोल के, हमारी भाबी योगा भी करती हैं। अपनी बात यहीं खत्म करते हुए शुभांगी कहती हैं, ‘‘यदि मेरा शरीर स्वस्थ महसूस नहीं कर रहा तो स्वाभाविक सी बात है उसका असर मेरी परफाॅर्मेंस पर भी पड़ता है, इसलिये मैं अपने रोजमर्रा के कामों का तनाव दूर करने के लिये योगा करना नहीं भूलती। इसके साथ ही मैं अपने साथ भी वक्त बिताती हूं और खुद से संवाद करने का समय निकालती हूं। साथ ही अपने दिन के बाकी समय पर भी उतना ही ध्यान देती हूं।’’
देखिये, अंगूरी भाबी को ‘भाबीजी घर पर हैं’ में हर सोमवार से शुक्रवार, रात 10.30 बजे
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