डिजिटल युग में स्किल ट्रेनिंग कैसे युवाओं को
वर्कप्लेस के लिए अच्छे से तैयार कर सकती है
आईसीए ऐडयु स्किल्स के सीईओ अंकित श्यामसुखा द्वारा इनपुट
स्किल एजुकेशन या वोकेशनल ट्रेनिंग (व्यावसायिक प्रशिक्षण) आमतौर पर किसी भी अर्थव्यवस्था की आधारशिला होती है। विडंबना यह है कि भारत को ज्ञान और स्किल का बहुत बड़ा भंडार माना जाता है। देश के अधिकांश शिक्षित युवाओं में एक चीज की कमी है जिसे 'एम्प्लॉयबिलिटी क्वैश्चन ’कहा जा सकता है। एक्सपर्ट्स ने देश की रोजगार क्षमता को बेरोजगारी की तुलना में बड़ी चुनौती माना है। दोनों समस्याएं समान रूप से भारत की वोकेशनल एजुकेशन कंटेंट और डिलीवरी सिस्टम की क्वालिटी रही है।
अब जब डिजिटल युग पहले से ज्यादा पनप चुका है, तो स्किल एजुकेशन सेक्टर कैसे पीछे रह सकता है इस नए माध्यम का लाभ उठाएं और देश को नए युग की अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करें? निम्नलिखित मेरे द्वारा बताये गए कुछ विचार हैं।
1- हाई क्वालिटी कंटेंट का विस्तार (फैलाव)
डिजिटलीकरण नॉलेज (ज्ञान), ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) और इसको संग्रह करने के लिए आपको विकल्प प्रदान करता है। यह स्टैंडराइजेशन (मानकीकरण) की अच्छी डिग्री सुनिश्चित करता है और क्वालिटी के मामले में बेंचमार्क सेट करता है। स्किल एजुकेशन सिस्टम इसका लाभ उठाकर क्यूरेटिंग और ऑफ-द-शेल्फ हाई क्वालिटी वाले स्टैंडराइजेशन मैटेरियल (जैसे वीडियो लेक्चर) का इस्तेमाल करके ट्रेनिंग प्रोवाइड कर रहा है। अगर कंटेंट जरुरत के आधार पर कस्टमाइज किया जाता है तो सीखने वाले का बजट उसे अपनी गति से सीखने में मदद करेगा।
2- सपोर्टिंग स्टाफ के लिए बेहतर ट्रेनिंग फैसिलिटी
पहले से ही बढ़ते हुए स्किल एजुकेशन और ट्रेनिंग इकोसिस्टम के अन्दर बहुत ज्यादा पारदर्शिता है। डिजिटलीकरण सरकारों और इंडस्ट्री अथोरिटी के लिए भी ट्रेनिंग प्रोग्राम और मैटेरियल को मान्यता देने और उन्हें सर्टिफिकेट देने के लिए भी आसान बनाता है। स्किल प्रोवाइडिंग इंडस्ट्री/ इंस्टीटयूट को इस मौके का सबसे अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें मार्किट में मौजूद लर्निंग कम्युनिटी में सबसे अच्छा बनना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक स्टार्ट-अप अपने कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग या इंस्ट्रक्शन ग्लोबल लीडर्स से अपनी स्किल को बढ़ाने के लिए इसका लाभ उठा सकते हैं। यह आर्गेनिक मार्केट बेस्ड इंस्ट्रक्शन / ट्रेनिंग मैटेरियल इको सिस्टम को बी 2 बी के साथ-साथ बी 2 सी मोड में कैटालाइज करेगा। यह विकसित देश जैसे कि भारत को हमेशा से अपने प्रतिद्वंद्धि देशो से हासिल करना जरुरी रहा है खास करके टेक्नोलोजी ट्रांसफर।
3- वन पॉइंट ऑफ़ कांटेक्ट के साथ फ्री लाइव इन्ट्रेक्शन
स्किल एजुकेशन प्रोवाइडर्स को इस अन्प्रीसेडेटेड स्केल (अभूतपूर्व पैमाने) का उपयोग करना चाहिए जो शिक्षार्थियों को डिजिटलीकरण टर्म्स की अक्सिबिलिटी की अनुमति दें। कोविड की वजह से डर फैला हुआ है इसलिए न केवल एजु-टेक कंपनियों में बढ़ोत्तरी हुई बल्कि कुछ ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी (पारंपरिक प्रौद्योगिकी) कंपनी कोलॅबोरेटिव लर्निंग के लिए मुफ्त में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ग्रुप इंटरएक्शन ऐप को ऑफर कर रहे हैं। इन ऐप्स और प्लेटफ़ॉर्म डिलीवरी के माध्यम से एक ही जगह से बहुत से सीखने वाले शिक्षार्थियों को लाइव इंस्ट्रकशन दे सकते हैं। इस तरह वे अलग जगह और समय होने के बावजूद इसे और अधिक उपयोगी बना सकते हैं। यह इंस्ट्रक्शन और ट्रेवेल करने की लागत को भी कम करता है।
4- ऑनलाइन और क्लास ट्रेनिंग दोनों को चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी
कुछ स्किल एजुकेशन प्रोवाइडर ने ट्रेनिंग सपोर्ट को क्लासरूम और
ऑनलाइन ट्रेनिंग को चुनने की
फ्लेक्सिबिलिटी देकर ट्रेनिंग प्रोवाइड करना पहले से कहीं ज्यादा आसान बना
दिया है। हालाँकि, इन्हे उन एजु-टेक कंपनियों
और एप्लिकेशन के साथ कोलैबोरेशन करना चाहिए जो कम इंटरनेट बैंडविड्थ और ख़राब
कनेक्शन को ध्यान में रखकर चलायी जाती है। कम इंटरनेट बैंडविड्थ और ख़राब कनेक्शन
हमारे देश में एक बड़ी चुनौती है। इन रियल वर्ल्ड की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें पर्याप्त समाधान
(सोल्यूशन|) प्रदान करना चाहिए खासकर ग्रामीण इलाकों में।
5- बैंकिग, फाइनान्स और आईटी सर्विस ट्रेनिंग की ज्यादा
मांग
डिजिटलीकरण ने नए जमाने की टेक्नोलोजी के मद्देनज़र करियर और प्रोफेशनल्स को भी नया रूप दिया है। भारतीय श्रम बाजार (इंडियन लेबर मार्केट) पर एक लहर की तरह प्रभाव पड़ा है इसके साथ बैंकिंग, फाइनांस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और मोबाइल डेवलपमेंट के क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ी है। यह चुनौती और मौका दोनों है। एम्प्लोयाबिलिटी एसेसमेंट फर्म (रोजगार आकलन फर्म) के अनुसार भारत के केवल 3% इंजीनियर में नए जमाने की टेक्नोलोजिकल स्किल है। इससे भी ज्यादा खराब बात यह है कि भारत में यूनिवर्सिटी से पास होने वाले 80% ग्रेजुएट बेरोजगार हैं। डिजिटलीकरण मुख्यधारा में आने के साथ स्किल डेफिसिट (स्किल की कमी) का निवारण वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग मैटेरियल के माध्यम से किया जा सकता है।
2024 तक इंडियन ऑनलाइन एजुकेशन मार्केट INR 360.3 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। स्किल एजुकेशन सेक्टर को खुद में होने वाले बदलाव से निपटने के लिए तैयार होना चाहिए। डिजिटलीकरण ने नौकरी करने से पहले एक नकली वातावरण में जॉब ट्रेनिंग को जरूरी बना दिया है ताकि लर्नर वर्कप्लेस पर आसानी से काम कर पाये। स्किल प्रोवाइडर लर्निंग के इस अपरेंटिशिप मॉडल को या तो ऑनलाइन, ऑनसाइट, ऑन-कैम्पस लर्निंग में अपने अनुसार मिला सकते हैं।
हालाँकि मुझे पर्सनली लगता है कि डेटा की पहुंच अभी भी एक बड़ी चुनौती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। बहुत सारे ट्रेनिंग मॉडल में एक बंद वातावरण और इंटरैक्टिव एक्सचेंज में फिजकल मौजूदगी की जरूरत होती है और यह केवल क्लासरूम लर्निंग में ही संभव है। जब चीजें नार्मल होगी जहां लोग बिना किसी अड़चन के एक-दूसरे से मिल पायेंगें, तभी हम समझ पायेंगे कि क्या लोग नए मानदंड (नॉर्म) के अनुकूल होने के लिए तैयार हैं या वे अभी भी क्लासरूम ट्रेनिंग को चुनेंगे।
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