संत समाज में हाल ही में गुरु जी लॉन , रानी खेरा में एक बहुत ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन शिव साधिका मां विश्वरूपा जी द्वारा कोरोना काल में 108 मुक्त महायज्ञों की पूर्णता पर आयोजित किया गया। वैश्विक महामारी के समय, जब प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने बारे में सोच रहा था, इस कठिन समय में, शिव साधिका मां विश्वरूपा, डॉ राजेश ओझा जी , भगवान् डबास जी आचार्य संदीप कौशिक नेहा पोद्दार जी, मिनाक्षी शर्मा जी जिन्होंने अपने जीवन की परवाह नहीं की, पूरे 108 मुक्त यज्ञों के लिए पूरे भारत में घूमते रहे।
इस भव्य कार्यक्रम में स्वामी चक्रपाणि जी , सुब्रमण्यम स्वामी जी ने हिन्दू धरम की विशेषताओं को बड़े ही अच्छे ढंग से भक्तो को समझाया। ईश्वर से जुड़ने का मार्ग बहुत ही सरल है, यह भी उनके द्वारा बताया गया। पूर्व राष्ट्रीय संगठन अध्यक्ष संजय जोशी , महामंडलेश्वर नवल किशोर जी , कंचन गिरी महाराज जी , आनंद पूरी महाराज जी, धीरज पूरी महाराज जी, भोला पूरी महाराज जी, धरम गुरु डॉक्टर HS रावत जी, धरम आचार्य अनिल वत्स जी, पंडित राजीव शर्मा जी आदि ने इस कार्यक्रम में शामिल होके शोभा बढ़ाई।
यह भव्य कार्यक्रम की शुरुआत यज्ञ के द्वारा हुई जो भी अतिथि आ रहे थे यज्ञ में आहुति डालते हुए सभागार में प्रवेश कर रहे थे। 500 से ज्यादा की संख्या में भक्तजन अपने महात्माओं के दर्शन करने के लिए आए।
शिव साधिका मां विश्वरूपा ने इस आयोजन का अध्याय बताया कि “लोगों की समस्याओं को देखते हुए सिर्फ शारीरिक परेशानी ही नहीं मानसिक परेशानी भी आजकल बहुत बढ़ रही है। उसी का एकमात्र उपाय अपनी संस्कृति अपने ईश्वर के मार्ग को बताया है।“
इस भव्य कार्यक्रम में स्वामी चक्रपाणि जी , सुब्रमण्यम स्वामी जी ने हिन्दू धरम की विशेषताओं को बड़े ही अच्छे ढंग से भक्तो को समझाया। ईश्वर से जुड़ने का मार्ग बहुत ही सरल है, यह भी उनके द्वारा बताया गया। पूर्व राष्ट्रीय संगठन अध्यक्ष संजय जोशी , महामंडलेश्वर नवल किशोर जी , कंचन गिरी महाराज जी , आनंद पूरी महाराज जी, धीरज पूरी महाराज जी, भोला पूरी महाराज जी, धरम गुरु डॉक्टर HS रावत जी, धरम आचार्य अनिल वत्स जी, पंडित राजीव शर्मा जी आदि ने इस कार्यक्रम में शामिल होके शोभा बढ़ाई।
यह भव्य कार्यक्रम की शुरुआत यज्ञ के द्वारा हुई जो भी अतिथि आ रहे थे यज्ञ में आहुति डालते हुए सभागार में प्रवेश कर रहे थे। 500 से ज्यादा की संख्या में भक्तजन अपने महात्माओं के दर्शन करने के लिए आए।
शिव साधिका मां विश्वरूपा ने इस आयोजन का अध्याय बताया कि “लोगों की समस्याओं को देखते हुए सिर्फ शारीरिक परेशानी ही नहीं मानसिक परेशानी भी आजकल बहुत बढ़ रही है। उसी का एकमात्र उपाय अपनी संस्कृति अपने ईश्वर के मार्ग को बताया है।“
No comments:
Post a Comment