● आईटीसी डर्माफिक ने भारतीय त्वचा पर शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से डर्माफिक इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर (DISKC) की स्थापना की
● कांटार द्वारा संचालित एक विशेष रिपोर्ट के माध्यम से भारतीय त्वचा की विशिष्टता को दर्शाते हुए, डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट का अपनी तरह का पहला संस्करण जारी किया गया

मुंबई, 29 अप्रैल, 2025 –
वर्षों से भारतीय महिलाएं ऐसे स्किनकेयर सॉल्युशंस तलाश रही हैं जो वैश्विक मानकों पर आधारित हो—लेकिन अक्सर उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होते। आईटीसी डर्माफिक ने इस चलन को बदलने का प्रयास करते हुए डर्माफिक इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर (DISKC) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य भारतीय त्वचा की विशिष्टताओं और इसकी देखभाल के लिए अनुकूल सॉल्युशंस की आवश्यकता को लेकर शिक्षा और जागरूकता फैलाना है।
इस पहल के तहत, ब्रांड ने कांटार के साथ मिलकर एक अध्ययन कराया, जिसके आधार पर डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट तैयार की गई—जो भारतीय त्वचा की अनूठी विशेषताओं को उजागर करने वाली अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है।
भारतीय त्वचा सबसे हटकर है और अन्य देशों की त्वचा से बहुत अलग है। डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट में भारतीय त्वचा की इन्हीं खासियतों पर प्रकाश डाला गया है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारतीय त्वचा से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए किस तरह के समाधान और नवाचार की आवश्यकता है। नॉलेज सेंटर और इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट एक साथ मिलकर भारत की त्वचा की देखभाल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित कर रहे हैं - साथ ही भारतीय त्वचा को वैज्ञानिक रिसर्च और कंज्यूमर फोकस के केंद्र में लाते हैं।
आईटीसी लिमिटेड के पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स बिज़नेस के डिविजनल चीफ एग्जीक्यूटिव समीर सत्पथी ने कहा, "भारतीय त्वचा अनोखी है और इसके लिए कस्टमाइज सॉल्युशंस की आवश्यकता है। डर्माफिक इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर की स्थापना के साथ हम भारतीय त्वचा की विशिष्ट विशेषताओं पर शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पहल के तहत डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट उपभोक्ताओं के अनुभवों से प्राप्त महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो यह दर्शाती हैं कि भारतीय त्वचा के लिए विशेष रूप से तैयार स्किनकेयर सॉल्युशंस की कितनी आवश्यकता है। आईटीसी डर्माफिक ने हमेशा एडवांस इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित कर अपने प्रोडक्ट पेश किए हैं, जिनका भारतीय त्वचा पर परीक्षण भी किया गया है। यह पहल भारतीय उपभोक्ताओं को उनकी त्वचा के लिए सोच-समझकर विकल्प बनाने के लिए नॉलेज और सॉल्युशन के साथ सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।""
रिपोर्ट से कुछ प्रमुख निष्कर्ष सामने आए हैं, जो भारतीय त्वचा के बारे में बेहतर समझ विकसित करने में मदद करते हैं-
- झुर्रियों को अक्सर उम्र बढ़ने की पहली निशानी के तौर पर देखा जाता है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि लगभग 50% भारतीय महिलाओं को पिग्मेंटेशन की समस्या होती है और इनमें से 74% को यह समस्या 30 वर्ष की उम्र से पहले होती है, यानी झुर्रियों के दिखने से काफी पहले। इसकी वजह यह है कि भारतीय त्वचा में कोलेजन* अधिक होता है, जिससे झुर्रियां देर से आती हैं, लेकिन इसमें 50% अधिक मेलानिन होने से पिग्मेंटेशन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
- यह अध्ययन “ग्लास स्किन” की चाह के बढ़ते चलन और वास्तविकता के अंतर को सामने लाता है। स्वतंत्रत अध्ययनों* के अनुसार 98% भारतीय महिलाएं “ग्लास स्किन” की आकांक्षा रखती हैं, जबकि हकीकत बहुत अलग है। भारतीय त्वचा में रोम छिद्रों का आकार चीनी त्वचा की तुलना में लगभग 4 गुना बड़ा और और 5 गुना अधिक घनत्व वाला होता है। यह त्वचा की बनावट को असमान बनाता है। छिद्रों की बड़ी और अधिक संख्या भारतीय त्वचा की बनावट और दिखावट को असमान बनाती है, जिससे ग्लास स्किन प्राप्त करना कठिन हो जाता है। हालांकि, उपभोक्ताओं को भारतीय त्वचा की इन अनूठी विशेषताओं की जानकारी नहीं है क्योंकि डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार केवल 7% लोग बड़े रोम छिद्रों को एक महत्वपूर्ण चिंता मानते हैं।
- त्वचा की शुष्कता: भारतीय त्वचा की नमी बनाए रखने की क्षमता कम होती है, जिससे सूखापन अधिक होता है। 80% महिलाएं पर्यावरणीय कारकों के कारण सूखापन अनुभव करती हैं और 87% को आंखों के नीचे सूखापन महसूस होता है, भले ही वे मॉइस्चराइज़ करती हों।
- भारतीय त्वचा में कोकेशियन* की तुलना में अधिक कोलेजन होता है, हमारी स्किन बैरियर भी कमज़ोर होते हैं और नमी बनाए रखने की क्षमता भी कम होती है जिससे हमारी त्वचा शुष्क होने की संभावना अधिक होती है।
- नेचरल मॉइस्चराइजिंग फैक्टर* की कमी के कारण कोकेशियन स्किन की तुलना में भारतीय त्वचा में शुष्क होने की चिंता अधिक होती है - 80% महिलाएँ पर्यावरणीय कारकों से शुष्कता का अनुभव करती हैं, और 87% मॉइस्चराइजिंग के बाद भी आँखों के नीचे शुष्कता से जूझती हैं, जिससे संतुलित हाइड्रेशन की आवश्यकता का पता चलता है।
इन प्रमुख निष्कर्षों के अलावा, रिपोर्ट में कई अन्य जानकारियां भी सामने आई हैं:
• धूप, टैन और सेंसिटिविटी: भारतीय त्वचा में कोकेशियन स्किन की तुलना में 50% अधिक मेलेनिन होता है और इसलिए भारतीय स्किन में टैनिंग की संभावना अधिक होती है, जबकि कोकेशियन स्किन अक्सर सनबर्न का सामना करती है। 81% महिलाएँ सनबर्न की तुलना में टैनिंग की शिकायतें अधिक करती हैं।
• मुँहासे: मुहाँसे हमारे लिए कोकेशियन की तुलना में चिंता का बड़ा विषय हैं। हमारी त्वचा पर रोमछिद्र बड़े होते हैं*, जो अधिक सीबम सीक्रेशन के कारण होते हैं, और अधिक मुहाँसे होने का कारण बन सकते हैं। 68% महिलाओं के लिए मुहाँसे चिंता का एक प्रमुख विषय है, जिनमें से 20-25 वर्ष की आयु की 94% महिलाएँ मुहाँसे से जूझ रही हैं, जो दर्शाता है कि यह सिर्फ़ किशोरावस्था की समस्या नहीं है।
विश्व स्तरीय रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञता लाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के साथ, आईटीसी डर्माफिक ऐसे सॉल्युशन तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है जो भारतीय त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अनुकूलित, टेस्टेड तथा सिद्ध किए गए हों।
ब्रांड ने टारगेटेड इंडियन स्किन की विशिष्टता के लिए अत्याधुनिक सॉल्युशंस का आविष्कार किया है, जिसमें प्रोडकेट्स की एक विस्तृत रेंज शामिल है, जिनका परीक्षण किया गया है तथा क्लिनिकल अध्ययनों में डर्मेटोलॉजिस्ट द्वारा सुरक्षित और प्रभावकारी पाया गया है: डर्माफिक डी-पिगमेंट सीरम हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करता है, डर्माफिक एक्वा क्लाउड सीरम स्किन बैरियर फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है तथा 72 घंटों तक हाइड्रेशन प्रदान करता है, डर्माफिक एक्ने एवर्ट क्लींजिंग मूस मुंहासों के घावों को कम करता है, डर्माफिक पोर मिनिमाइजिंग टोनर त्वचा को एक्सफोलिएट करता है, रोमछिद्रों को खोलता है तथा उन्हें कसता है तथा डर्माफिक सन डिफेंस में नियासिनमाइड होता है तथा जो मेलेनिन को नियंत्रित करने तथा त्वचा को डी-टैन करने के लिए जाना जाता है।
आईटीसी डर्माफिक ने भारतीय त्वचा की अनूठी विशेषताओं - पिगमेंटेशन, टैनिंग, पोर्स, एक्ने और रूखेपन पर आधारित 5 इंफॉर्मेशियल लॉन्च किए हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अपनी त्वचा के बारे में जानने और अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक सूचित विकल्प बनाने में मदद मिलेगी। आईटीसी डर्माफिक के उत्पादों की रेंज विज्ञान समर्थित है और भारतीय त्वचा पर डर्मेटोलॉजिस्ट द्वारा परीक्षण की गई है।
आईटीसी डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए प्रसिद्ध कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट और टेडएक्स स्पीकर डॉ. जयश्री शरद ने कहा, "भारतीय उपभोक्ता आज अधिक जानकारी रखते हैं और अपनी त्वचा की अनूठी आवश्यकताओं को समझने के प्रति सजग भी दिखते हैं। भारतीय स्किन की विशिष्टताओं को समझना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विशिष्ट चुनौतियां पेश करती है और ऐसी आवश्यकताएं होती हैं जिनकी अक्सर अनदेखी ही होती है। डर्माफिक का इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियों पर रोशनी डालने में महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय स्किन की विभिन्न विशेषताओं पर विज्ञान-आधारित धारणा बनाने की दिशा में काम कर रहा है। यह इस बात पर भी जोर देगा कि भारतीय स्किन की विशिष्टताओं को देखते हुए उसकी देखभाल के लिए भी अलग सॉल्युशंस की आवश्यकता है।"
आईटीसी डर्माफिक में डर्मेटोलॉजिस्ट और स्किन केयर एक्सपर्ट डॉ. अपर्णा संथानम ने कहा, "लंबे समय से जागरूकता की कमी के कारण भारतीय त्वचा की अनूठी ज़रूरतों की अनदेखी हो रही है। डर्माफिक इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर के जरिये हम उपभोक्ताओं को भारतीय त्वचा की अनूठी विशेषताओं के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके आधार पर आईटीसी डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट आवश्यक जानकारी प्रदान करती है जो भारतीय त्वचा की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुरूप त्वचा की देखभाल के लिए अधिक सोच-समझकर और व्यक्तिगत नजरिया अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। अब समय आ गया है कि सामान्य सॉल्युशंस से आगे बढ़कर ऐसे स्किन केयर को अपनाया जाए जो विशेष रूप से भारतीय त्वचा के लिए डिज़ाइन और टेस्टेड हो, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर, अधिक सोच-समझकर विकल्प चुनने में मदद मिले।"
उपभोक्ताओं को ज्ञान और विज्ञान समर्थित समाधानों से सशक्त बनाकर डर्माफिक इंडियन स्किन नॉलेज सेंटर (DISKC) द्वारा समर्थित आईटीसी डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट स्किनकेयर के एक नए युग की शुरुआत कर रही है। यह पहल हर भारतीय महिला की अनूठी जरूरतों का जश्न मनाती है, जो व्यक्तिगत, प्रभावी स्किनकेयर सॉल्युशंस का मार्ग प्रशस्त करती है।
डर्माफिक इंडियन स्किन हेल्थ रिपोर्ट के लिए मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरु में 800 महिलाओं के बीच कांटार सर्वेक्षण किया गया था।