“मेरे चाचा को पता है कि उनका पक्ष कमज़ोर है इसलिए चुनाव आयोग में उन्होंने दावा नहीं किया. न तो पार्टी पर और न ही चुनाव चिह्न पर. मेरे चाचा को पार्टी के संविधान की पूरी जानकारी नहीं है.” पार्टी के संविधान खुद को अब भी पार्टी अध्यक्ष बताने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के चर्चित चेहरे चिराग पासवान ने खास तौर पर न्यूज़18 इंडिया के साथ बातचीत की.
पारस और चिराग पासवान के बीच मतभेदों के बाद स्थिति यह है कि लोक जनशक्ति पार्टी के विधायकों समेत ज़्यादातर लोग पारस खेमे में जा चुके हैं. चिराग पार्टी पर कब्ज़े की लड़ाई लड़ने के दौर में हैं. एक तरफ सियासी लड़ाई और दूसरी तरफ परिवार की कलह के दौर में चिराग कभी भावुक तो कभी एक राजनीतिक युवा के तौर पर दिखाई दिए. चाचा के साथ चल रहे मतभेद पर उन्होने कहा की उनकी मां ने पूरा जीवन परिवार को एक साथ रखने में लगा दिया लेकिन आज जब सबसे ज्यादा उनको और उनकी मां को परिवार की ज़रूरत है, तो परिवार के लोग साथ नहीं है. “अगर चाचा को मंत्री बनना था, तो वह खुलकर बात रख सकते थे, मैं खुद प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनके लिए मंत्री पद की अनुशंसा करता. और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए भी मैं खुद कहता. मुझ पर आरोप लगाया जाता कि मैं बात नहीं करता था. कई तरह के आरोप लगते हैं, लेकिन मेरे चाचा मुझे डांटते, फटकारते और बताते कि यह करने की ज़रूरत है, और यह नहीं. चाचा खुद तो अलग हुए ही, मेरे भाई को भी अलग ले गए,” उन्होने कहा.
नीतीश कुमार के बारे में बात करते हुए चिराग ने बताया, “नीतीश जी से मैं नाराज नहीं हूं. अब मैं इस हैसियत में नहीं हूं कि किसी से नाराज हो सकूं. अगर मेरा परिवार साथ होता तो मैं किसी पर उंगली उठा सकता था, लेकिन परिवार ही साथ नहीं तो मैं क्या किसी पर उंगली उठा सकता हूं.”
पीएम मोदी और बीजेपी को लेकर चिराग ने कहा की एक दौर था, जब परिस्थितियां उनके सामने आईं तो उन्हे अपेक्षाएं थीं. लेकिन आज की तारीख में उन्हे अपेक्षाएं किसी से नहीं हैं. प्रधानमंत्री से उम्मीद है की उनका साथ मिलेगा, संरक्षण मिलेगा.
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