Friday 18 November 2022

सच‍िन तेंदुलकर के आउट होने पर 15 दिन तक बात नहीं करती थीं लता मंगेशकर

साहित्य आज तक 2022 के पहले दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. हरीश भिमानी, संजीवनी भेलांडे और लेखक यतींद्र मिश्रा ने लता मंगेशकर से जुड़ी यादें शेयर करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी. इस दौरान यतींद्र मिश्रा ने ये भी बताया कि लता मंगेशकर को क्रिकेट से कितना प्यार था. साहित्य आज तक 2022 का मंच सज चुका है. 

साहित्य आज तक के पहले दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी गई है. लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने के  लिये मंच पर हरीश भिमानी, संजीवनी भेलांडे और लेखक यतींद्र मिश्रा मौजूद रहे. इस दौरान यतींद्र मिश्रा ने लता मंगेशकर से जुड़ी से अनकही कहानी बताई. स्वर कोकिला पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि वो सबसे ज्यादा दुखी कब होती थीं.  

क्रिकेट से था लगाव  

लता मंगेशकर संगीत की दुनिया की क्वीन थीं, उन्हें संगीत से कितना प्यार था, ये हर कोई जानता है. पर संगीत के अलावा वो क्रिकेट से भी काफी मोहब्बत करती थीं. लता मंगेशकर को याद करते हुए यतींद्र मिश्रा ने कहा कि जब भी लता जी शूट नहीं करना चाहती थीं, तो उनके सेक्रेटरी फोन करके बता देते थे. वहीं  जब भारत मैच हारता, तो उनसे बात करना मुश्किल हो जाता था.   

यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि 'जब भारत मैच हारता तो वो 15 दिन बात नहीं करती थी. खास कर जब सचिन तेंदुलकर आउट होते, तो वो बात करना बंद कर देती थीं. क्रिकेट में भारत की हार उनसे बर्दाशत नहीं होती थी और वो दुखी हो जाती थीं.' यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि 'भारत के हारने पर उनसे बात करना बेहद मुश्किल हो जाता था. इसलिये मैं मनाता था कि जब तक उनसे बात हो रही है, सचिन आउट ना हों.' इससे पता चलता है कि उन्हें क्रिकेट से कितनी मोहब्बत थी. यतींद्र मिश्रा ने ये भी बताया कि संगीत जगत का बड़ा नाम होने के बावजूद वो छोटे-बड़े लोगों को जी कह कर बुलाती थीं. लता मंगेशकर की यही चीज उनके बड़प्पन को दर्शाती है. इसलिये हर कोई उनसे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता था.  

साहित्य संगीत नहीं सीख पाने का दुख था  

यतींद्र मिश्रा बताते हैं कि लता मंगेशकर गुलाम अली खान की तरह गाना चाहती थींलता जी को साहित्य संगीत ना सीख पाने का दुख थालता मंगेशकर के बारे में बात करते हुए संजीवनी भेलांडे ने कहा कि लता मंगेशकर 4 मिनट के गाने में पूरी कहानी बयां कर देती थींउन सा ना कोई था और ना कोई होगा. 

प्रोग्राम के अंत में  हरीश भिमानी ने कहा कि लता मंगेशकर जी से कहना चाहता हूं कि हम सब आपको बहुत याद करते हैंजल्द आइयेगाबस छोटा सा संकेत दे दीजियेगाजल्द आइयेगाबस छोटा सा संकेत दे दीजियेगाहम समझ जाएंगेइस तरह छोटी-बड़ी और दिलचस्प बातों के साथ साहित्य के मंच पर लता मंगेशकर को याद किया गया.   

साहित्य आज तक का मंच 18 से 20 नवंबर तक सजेगाजिसमें साहित्य और सिनेमा जगत से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां आने वाली हैंसेलेब्स से जुड़ी दिलचस्प बातें जानने के लिये साहित्य आज तक से जुड़े रहें.   

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