मुंबई, 3 अगस्त 2020 :- अगस्त महीने का पहला हफ्ता विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसके उपलक्ष्य में यह जान लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आयोडीन और स्तनपान के बीच एक खास कड़ी है और अधिकतम महिलाओं को इसकी जानकारी देना जरुरी है। बच्चों को माँ के दूध से सबसे अच्छा पोषण मिलता है। बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली माँ और उसका बच्चा इन दोनों के स्वास्थ्य की दृष्टी से बहुत लाभकारी है। साथ ही आयोडीन भी ऐसा तत्व है जो बच्चों और गर्भवती माताओं के रोजाना खाने में होना बहुत जरुरी है। चयापचय और शरीर के विकास पर नियंत्रण रखने वाले थायरॉइड हार्मोन्स बनने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2020 के अनुसार शिशु एक या दो साल का होने तक उसे माँ का दूध पिलाना यह बात अमीर घरों, शहरी इलाकों में और पढ़ी-लिखी माताओं के बारे में आम तौर पर नहीं पायी जाती। दूसरी ओर बहुत ही गरीब परिवारों, ग्रामीण इलाकों में या कम पढ़ी-लिखी माताओं द्वारा बच्चों को माँ के दूध के अलावा दूसरा खाना देने की मात्रा बहुत ही कम है।
गर्भवती होने से पहले और गर्भावस्था के दौरान खान-पान और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करने पर काफी जोर दिया जाता है। अच्छा आहार, पर्याप्त आराम, कम से कम तनाव और स्वस्थ वातावरण यह बातें शिशु के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। गर्भावस्था के दौरान पोषक आहार लेना जरुरी है यह बात अधिकतम महिलाएं जानती हैं लेकिन गर्भ में शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए आयोडीन महत्वपूर्ण यह जागरूकता बहुत कम पायी जाती है। गर्भावस्था में महिला के शरीर की आयोडीन की जरुरत लक्षणीय मात्रा में बढ़ जाती है क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु को भी पर्याप्त मात्रा में आयोडीन जरुरी होता है। गर्भावस्था में शुरूआती हफ़्तों से ही शरीर की आयोडीन और थायरॉइड हार्मोन्स की जरुरत बढ़ती है लेकिन कई महिलाएं इसके बारे में अनजान होती हैं और उन्हें इन दोनों की कमी का सामना करना पड़ता है। आयोडीन की कमी और उसके कारण होने वाली स्वास्थ्य की समस्याओं को टालना हो तो अतिरिक्त मात्रा में आयोडीन की आपूर्ति की जाना जरुरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हिदायतों के अनुसार सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को रोजाना आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन मिलाना ही चाहिए (250 माइक्रोग्राम्स)।
टाटा न्यूट्रीकेअर की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट सुश्री कविता देवगन ने कहा, "शिशु कम से कम दो साल का होने तक स्तनपान जारी रखना चाहिए, इससे शिशु को कई प्रकार के कुपोषण से सुरक्षा मिलती है। माँ और बच्चा इन दोनों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान बहुत ही लाभकारी है। स्तनपान से बच्चों को माँ के दूध से आयोडीन मिलता है जो आगे जाकर इन बच्चों के बौद्धिक स्तर (आईक्यू) को बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकता है। गर्भावस्था में महिला के शरीर की आयोडीन की जरुरत बढ़ती है, उनके रोजाना आहार से वह पूरी नहीं हो पाती। आयोडीन की कमी थोड़ी भी हो तो भी शिशु के मस्तिष्क के विकास में खतरा हो सकता है और आगे जाकर उनके बौद्धिक विकास में कमी भी आ सकती है। पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक या जिनमें आयोडीन होता है ऐसे पदार्थ जैसे कि मछली और दूध उत्पादों को अपने रोजाना आहार में शामिल करके महिलाओं को अपने शरीर की आयोडीन की जरुरत पूरी करनी ही चाहिए।"
शिशु को अपना दूध पिलाना माँ के स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होता है। इससे शरीर से अतिरिक्त कैलरीज जलने में मदद मिलती है, स्तन और अंडाशय के कैंसर का खतरा कम होता है। शिशु को आदर्श पोषण मिलता है जो उनके विकास के लिए जरुरी होता है। माँ के दूध में एंटीबॉडीज होती हैं जो शिशु के शरीर को रोगाणुओं और कीटाणुओं से लड़ने में मदद करती हैं, उन्हें एलर्जी, कान में संक्रमण, सांस की बीमारियां, डायरिया आदि बीमारियां होने का खतरा कम होता है। जिन बच्चों को माँ का दूध पिलाया जाता है उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, उन्हें बार-बार डॉक्टर के पास या अस्पताल में ले जाने की जरुरत नहीं होती।
अच्छी खबर यह है कि नियमित रूप से स्तनपान से स्तन, अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज और गर्भावस्था में माँ की मृत्यु के वारदातों को रोका जा सकता है। साथ ही रोजाना आहार में अच्छी गुणवत्ता के ब्रांडेड आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल से आयोडीन की कमी भी आसानी से दूर की जा सकती है।
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