दशहरा पर, एण्डटीवी के कलाकार मना रहे हैं ‘बुराई पर अच्छाई की जीत‘ का जश्न
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत में इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर एण्डटीवी के कलाकारों, जिनमें शामिल हैं-हप्पू की उलटन पलटन के हप्पू (योगेश त्रिपाठी), गुड़िया हमारी सभी पे भारी की गुड़िया (सारिका बहरोलिया) और पप्पू (मनमोहन तिवारी), भाबीजी घर पर हैं की अंगूरी भाबी (शुभांगी अत्रे) और संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं की संतोषी मां (ग्रेसी सिंह), ने अपने विचार व्यक्त किये। योगेश त्रिपाठी ने कहा, ‘‘दशहरा मेरे और मेरे परिवार के लिये बहुत ही पावन दिवस है। बचपन में मैंने अपने माता-पिता से एक बात सीखी है कि रावण हमारे अंदर और आस-पास की बुराई का प्रतीक है और हम जब अपने अंदर की बुराई का नाश करते हैं, तो विजयी बनते हैं तथा सच्चाई की राह पर चलते हैं। मैं दशहरा के दिन अपने घर पर एक छोटी सी पूजा रखकर अपने बेटे को भी यही सीख देने की कोशिश करता हूं।‘‘ सारिका बहरोलिया ने कहा, ‘‘दशहरा मुझे हमारे परिवार के पारंपरिक रिवाजों की याद दिलाता है, जिसका आनंद नजदीकी मैदान में होने वाली स्थानीय रामलीला में उठाते हैं। हालांकि, इस साल चूंकि मैं अपने परिवार वालों से दूर हूं, मैं अपनी मां की रेसिपी के अनुसार, नारियल की बर्फी और खोया पेड़ा बनाऊंगी। इसके बाद मैं पूजा भी करूंगी। दशहरा के अवसर पर, मैं सभी लोगों के लिये अच्छे स्वास्थ्य एवं समृद्धि की कामना करती हूं। मनमोहन तिवारी ने कहा, ‘‘मेरे बेटे को रामायण सुनना बहुत अच्छा लगता है और वह भगवान राम को अपना हीरो मानता है। दशहरा हम सभी के लिये एक बेहद खास मौका होता है। इस अवसर पर हम अपने पूजा घर को सजाते हैं और भगवान राम की जय-जयकार करते हुये प्रार्थना करते हैं।‘‘ शुभांगी अत्रे ने कहा, ‘‘संस्कृत शब्द में दशहरा का अर्थ है, दश (दस) और हरा (हार)। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा पर्व मनाया जाता है। मैं और मेरा परिवार इको-फ्रेंडली मूर्तियों में विश्वास करते हैं और इसलिये हम अधिकतर मिट्टी और चावल से खुद ही मूर्ति तैयार करते हैं। चूंकि, दशहरा से त्योहारों के मौसम की शुरूआत भी होती है, इसलिये हम घर की साफ-सफाई भी करते हैं और उसे त्योहारों के लिये तैयार करते हैं। हम नवरात्रों के दौरान दिन में दो बार आरती भी करते हैं, एक बार सुबह एवं एक बार शाम को। इस दौरान हम मां दुर्गा और भगवान राम से प्रार्थना करते हैं।‘‘ ग्रेसी सिंह ने कहा, ‘‘सुबह की पूजा के साथ, मैं एक महाप्रसाद तैयार करती हूं, जिसे बाद में सोसायटी के स्टाफ और अपने आस-पास रहने वाले लोगों को बांटती हूं। मैं पूरे मन से प्रार्थना करती हूं, क्योंकि मैं एक बेहतर भविष्य की उम्मीद के साथ हर किसी में अच्छाई देखना चाहती हूं। हमारी जिंदगी में तरह-तरह के लोग आते हैं, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपना आचरण किस तरह का रखते हैं। बुरी ताकतों को अपने अंदर की अच्छाई पर हावी नहीं होने दें।‘‘
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