Saturday, 11 July 2020

Kendra’s 6th Webaithak mark edby melodious vocal recital - प्राचीन कला केन्द्र की छठीं वैबबैठक में शुभ्रा तलेगांवकर का मुग्धमयी गायन


As our social distancing norms continue, we are bringing our Baithaks straight to you, so that you can watch it from the comfort of your home, on your preferred Social Media Platforms . Our 6th we baithak held today at 8:00 pm live on our face book page and official YouTube channel  of the Kendra
Today’s artist Shusri Shubhra Talegaonkar is an Indian Classical vocalist of Hindustani music of Gwalior Gharana hailing from Agra, Uttar Pradesh. She is one of the most prominent young musicians of Indian Classical Hindustani music in recent times. She is the daughter of renowned musician Pt. Keshav Talegaonker who taught her early lessons of music, and granddaughter of legendary musician Late Pt. Raghunath Talegaonker. she studied under the tutelage her father and mother and carved her talent to a new level. Notably, she completed her Sangeet Bhaskar from Pracheen Kala Kendra. She is also a graded artist in Hindustani classical, ghazals, and bhajan genre with Akashvani (AIR).
Today’s baithak commenced with  Rag Bageshri . She chose Madhya laya Vilambit taal  bandish with bols “ ka se kahun man ki battiyan “ followed by madhya laya teen taal bandish set to bols “ javo javo javo re murari ”. Then she doled out  with a beautiful Tarana composed by his father and Guru Sh. Keshav Talegaonkar followed by rag Des based traditional composition “Sawan ki ritu aayi”  . She concluded with soulful  traditional Kajri “ set to bols “Boondiyan barsan lagi o Rama more angane mein “ composed  by her Grandfather and eminent  Vocalist Pt. Raghunath Talegaonkar.
She was accompanied by fine artists like famous musician   Pt Keshav  Talegaonkar on tabla renowned vocalist  Vidushi Pratibha Talegaonkar on Harmonium.

कोविड के चलते केन्द्र आजकल संगीत को आॅनलाइन एवं सोशल मीडिया पर प्रचारित कर रहा है । इसी श्रृंखला में आज केन्द्र की छठीं वैबबैठक का आयोजन किया गया जिसे आगरा की युवा एवं प्रतिभाशाली शास्त्रीय गायिका शुभ्रा तलेगांवकर के गायन द्वारा सजाया गया ।जिसमें इनके साथ तबले पर श्री केशव तलेगांवकर एवं हारमोनियम पर श्रीमती प्रतिभा तलेगांवकर जी ने संगत की ।
शुभ्रा ग्वालियर घराने की युवा गायिका होने के साथ-साथ केन्द्र की प्रतिभाशाली छात्रा भी रही है। अल्पायु से ही संगीत के क्षेत्र में अपनी प्रस्तुतियां दी हैं । शुभ्रा की संगीत में ख्याल,ठुमरी और तराना पर खास पकड़ है । शुभ्रा ने राग बागेश्री से कार्यक्रम की शुरूआत की जिसमें उन्होंने मध्य लय विलम्बित रूपक ताल में निबद्ध रचना ‘‘काहे से कहूं मन की बतीयां’’ पेश की । उपरांत मध्य लय तीन ताल में सजी बंदिश ‘‘जावो जावो रे मुरारी’’ प्रस्तुत की । 
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शुभ्रा ने द्रुत तीन ताल में निबद्ध तराना पेश किया जिसके रचयिता उनके पिता एवं गुरू केशव तलेगांवकर है । उपरांत शुभ्रा ने देस राग में निबद्ध खूबसूरत बंदिश ‘‘सावन की ऋतु आई’’ पेश करके समां बांधा । कार्यक्रम का समापन शुभ्रा ने मौसम के अनुरूप कजरी से किया । इस कजरी के बोल ‘‘ बूंदीयन बरसन लागी ओ रामा मोरे अंगने में’’। ये कजरी शुभ्रा के दादा पंडित रघुनाथ तलेगांवकर द्वारा रचित है ।

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